गेठी की उत्पत्ति का स्थान दक्षिण एशिया माना जाता है। यह डायोस्कोरिएसी कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम डायोस्कोरिया बल्बीफेरा है। इसे संस्कृत में वरही कंद ,मलयालम में कचिल और मराठी में दुक्कर कंद कहते हैं। हिंदी में इसे गेंठी, गेठी या गिन्ठी कहते हैं । और उत्तराखंड में भी ऐसे गेठि या गेंठी, गेठी ही कहते हैं। अंग्रेजी में गेठी को एयर पोटैटो ( air potato ) कहते हैं।
भारत मे गेठी की 26 प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमे गेठी के साथ डा बेल्फिला ( तरुड़ कंद ) भी पहाड़ो में पाया जाता है। भारत के आयुर्वेद ग्रन्थ चरक संहिता और सुश्रुतसंहिता में गेठी को दिव्य अठारह पौधों में स्थान दिया गया है ।चवनप्राश के निर्माण में भी गेठी का प्रयोग होता है। नाइजीरिया को गेठी का सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है। नाइजीरिया के अलावा घाना ब्राजील ,क्यूबा, जापान इसके मुख्य उत्पादक देश हैं। भारत के कुछ राज्य ,उड़ीसा, केरल, तमिलनाडु में इसकी खेती की जाती है। उत्तराखंड में 2000 मीटर तक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में गेठी कई बेल पाई जाती है।गेठी एक बेल वाला पौधा है।
गेठी गर्म तासीर की होती है। ठंड के मौसम में इसका प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। पहाड़ी लोग इसका गर्म राख में पका कर सेवन करते हैं । इसे खांसी की अचूक औषधि माना जाता है। वराह कंद के प्रमुख लाभ निम्न हैं –
- गेठी या वराह कंद ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। गेंठी में शर्करा(ग्लूकोज ) और रेशेदार फाइबर सही मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत धीरे बढ़ता है।
- गेंठी में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं,जिनके कारण शरीर मे कोलस्ट्रोल कम बढ़ता है । एयर पोटैटो मोटापा घटाने में लाभदायक है।
- इसमे विटामिन बी प्रचुर मात्रा में मिलता है। जो बेरी बेरी और त्वचा रोगों की रोकथाम में सहायक होता है।
- गेंठी में कॉपर ,लोहा,पोटेशियम ,मैगनीज आदि खनिज ( मिनरल्स ) पाए जाते हैं। जिसमे से पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखता है और कॉपर रूधिर कणिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है।
- वराह कंद या गेठी की पत्तियों और टहनियों के लेप से फोड़े फुंसियों में लाभ मिलता है।
- गेंठी को उबालकर सलाद या सब्जी रूप में खाने से खांसी व जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
- गेठी के तनों व पत्तियों के अर्क में घाव भरने की क्षमता होती है। और इसके अर्क में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता भी होती है। जिससे कैंसर जैसी भयानक बीमारी में लाभ मिलता है।
- इसके पत्तियों के लेप से सूजन व जलन में लाभ मिलता है।
- इसकी गांठों में स्टेरॉयड मिलता है जो कि स्टेरोएड हार्मोन और सेक्स हार्मोन बनाने के काम आता है।
- गेठी बबासीर के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नही है। दस्त के लिए भी यह अति लाभदायक है।
- इसमे एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता भरपूर रहती है। और कैंसर में तो लाभदायक होता ही है।